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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।

अथवा
लोक प्रशासन कला और विज्ञान दोनों है, क्यों? स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोक प्रशासन की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
2. . कला के रूप में लोक प्रशासन की प्रकृति पर प्रकाश डालिए
3. लोक प्रशासन की प्रकृति विज्ञान के रूप में स्पष्ट करें। -

उत्तर -

लोक प्रशासन की प्रकृति एवं रूप

राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र आदि विषयों के सम्बन्ध में प्रायः यह प्रश्न उठता है कि इन विषयों की प्रकृति वैज्ञानिक है अथवा कलात्मक। सामाजिक विषयों के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इसके अध्ययन का विषय मनुष्य एवं सामाजिक सम्बन्धों से रहता है, अतः इन विषयों में निश्चित सिद्धान्तों एवं कानूनों का निर्णय करना कठिन हो जाता है। चूँकि लोक प्रशासन सरकारी संगठन एवं सम्बन्धों का अध्ययन कराता है और इसलिए वह भी एक तरह से सामाजिक शास्त्र से जुड़ा विषय है तथा उन विषयों से भिन्न है जो प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन करते हैं तथा जिनमें भावी घटनाओं के बारे में निश्चित तौर पर भविष्यवाणी की जा सकती है। यथार्थवादी विचारक डॉ. एल. डी. व्हाइट के अनुसार "लोक प्रशासन असल में विज्ञान है अथवा कला यह बात भविष्य के निर्णय के लिए छोड़ दी जानी चाहिए, क्योंकि यह एक नियमित अध्ययन है जिसकी वैज्ञानिकता समय के साथ-साथ बढ़ती जा रही है।' एक अन्य विचार जो डॉ. अवस्थी तथा महेश्वरी का है के अनुसार "लोक प्रशासन का प्रयोग दो अर्थों में किया जा सकता है। प्रथम अर्थ मंी लोक प्रशासन का शासकीय मामलों के संचालन की विधि अथवा प्रक्रिया के रूप में प्रयोग किया जाता है। द्वितीय यह बौद्धिक अन्वेषण का क्षेत्र भी माना जाता है। अपने प्रथम अर्थ में लोक-प्रशासन निश्चित ही कला है परन्तु प्रश्न यह है कि क्या शासकीय मामन के अध्ययन के विषय के रूप में लोक प्रशासन को विज्ञान की संज्ञा दी जा सकती है?" लोक प्रशासन के उक्त प्रश्न के उत्तर को जानने के लिए हम इसके विभिन्न रूपों की जानकारी करने का प्रयास करेंगे।

(1) लोक प्रशासन कला के रूप में (Public Administration as an Art) - कुछ लोग लोक प्रशासन को एक दर्शन मानते हैं। मार्शल ई. डिमॉक के अनुसार प्रशासन एक जीता-जागता दर्शन है तथा इसका क्षेत्र इतना विस्तृत हो गया है कि प्रशासन दर्शन जीवन-दर्शन प्रतीत होने लगा है। एल डरबिक प्रशासन को एक कला बताते हैं। उनका कहना है कि अन्य कलाओं की भाँति प्रशासन की कला को भी खरीदा नहीं जा सकता है। लेण्डन के कथनानुसार प्रशासन एक विशेष क्रिया है, जिसमें एक विशेष ज्ञान तथा तकनीक की आवश्यकता होती है। प्रशासन को कार्यकुशल बनाने के लिए आवश्यक है कि एक विशेष कौशल का अर्जन किया जाय। लोक प्रशासन को अनेक राजनीतिक विद्वानों ने कला माना है। चूँकि प्रशासन का अभिप्राय किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने हेतु विभिन्न व्यक्तियों से काम करवाना और काम लेना उनको निर्देश देना हैं। इसमें क्रियात्मक पक्ष की प्रमुखता है। प्रशासन के उक्त अभिप्राय को पूरा करने में वही व्यक्ति सफल हो सकता है जिसे दूसरों से काम करवाने का ढंग मालूम हो अर्थात् प्रशासन की कला से परिचित हो। डॉ. महादेव प्रसाद शर्मा के शब्दों में "प्रशासन अपने आप में निश्चय ही एक ललित कला है। वैसे तो मूर्ति निर्माण, चित्रांकन, संगीत और काव्य आदि को हम ललित कलाओं में सम्मिलित करते हैं, पर प्रशासन इनसे कुछ कम नहीं वरन् कुछ अधिक ही ललित कला है। लोक प्रशासन चिरकाल से एक कला विशेष के रूप में जाना जाता रहा है। कौटिल्य, अकबर, टोडरमल बिस्मार्क और सरदार पटफल जैसे प्रतिभा सम्पन्न प्रशासकों ने अपने शासन कौशल से चमत्कार कर दिखाया है, उनके प्रशंसक जगत ने उन्हें महानतम् कलाकारों की श्रेणी में रखा है।'

लोक प्रशासन एक कला है क्योंकि जिस प्रकार ललित कलाओं के कलाकारों की स्वाभाविक प्रतिमा का परिष्कार तथा विकास प्रशिक्षण के द्वारा किया जाता है ठीक उसी प्रकार प्रशासक भी प्रशिक्षण द्वारा बनाए जाते हैं। धैर्य, नियन्त्रण, हस्तान्तरण, आत्मविश्वास, नेतृत्व की कुशलता, निर्णय की क्षमता आदि गुण प्रशासकों की प्रशासनिक कला-कौशल को बढ़ा देते हैं जिससे कि वे अपने कर्त्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों का निष्पादन सफलता एवं सरलतापूर्वक करने में सक्षम होते हैं।

लूथर गुलिक के अनुसार - एक अच्छे प्रशासन को पोस्डकार्ब (Posd Corb) तकनीकों में पारंगत होना चाहिए।"

संक्षेप में लोक प्रशासन को निम्न तर्कों के आधार पर कला माना जा सकता है-

(1) सर्वमान्य सिद्धान्त,
(3) विशेष रुचि एवं गुण,
(5) परिवर्तनशीलता,
(2) अभ्यास की आवश्यकता,
(4) क्रमिक विकास की प्रक्रिया,
(6) सहनशीलता।

आईन्वे टीड के अनुसार - "प्रशासन एक ललित कला (Fine Art) है क्योंकि इसमें सांझे सृजन की ओर से विशेष गुणों की आवश्यकता होती है जो सभ्य जीवन यापन के लिए आवश्यक होती है।'

(2) लोक प्रशासन एक सामाजिक विज्ञान के रूप में (Public Administration as Social Science) - लोक प्रशासन एक सामाजिक विज्ञान है जिसके परिणामों में यद्यपि वैज्ञानिक विशेषताएँ पूर्णता परिलक्षित नहीं होती फिर भी उसके अध्ययन में वैज्ञानिक तरीकों एवं तकनीकों का प्रयोग सफलता एवं सार्थकता के साथ किया जा सकता है। हक्सले का मत था कि सामाजिक विज्ञानों एवं तथाकथित विज्ञानों के बीच के अन्तर का आधार इन विज्ञानों की स्थिति के किसी अन्तर पर आधारित, नहीं है किन्तु यह उनकी विषय-वस्तु, उनके सम्बन्ध, संश्लिष्टता एवं उनकी तुलनात्मक पूर्णता पर आधारित हैं। जीव शास्त्र एवं गणित के बीच का अन्तर इसलिए रहता है क्योंकि उसकी विषय-वस्तु निरीक्षण को अधिक कठिन तथा आंकड़ों के परस्पर सम्बन्ध को कम तथा सही बना देती है।

एक सामाजिक विज्ञान होने के नाते लोक प्रशासन का सम्बन्ध मनुष्य के व्यवहार एवं समाज की संस्थाओं के साथ रहता है। मनुष्य के व्यवहार में पर्याप्त भिन्नताएँ पाई जाती हैं साथ ही उनके बारे में कोई भविष्यवाणी भी नहीं की जा सकती किन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विज्ञान नहीं है। चूँकि लोक प्रशासन के अन्तर्गत समाज से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं एवं विचारों का अध्ययन क्रमबद्ध एवं दति तरीके से करते हुए लक्ष्यों एवं परिणामों को प्राप्त किया जाता है अतः हम कह सकते हैं कि क : शासन सामाजिक विज्ञान का एक विषय है।

(3) लोक प्रशासन विज्ञान के रूप में (Public Administration as a Science) - आज का युग विज्ञान की प्रधानता का युग है और विज्ञान तथा वैज्ञानिक विषयों को विशेष सम्मान प्राप्त है। अतः समाज विज्ञान के अन्य विषयों जैसे - राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि की भांति लोक प्रशासन को भी भौतिक, रसायन, गणित आदि के समकक्ष विज्ञान मानने का सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है। लोक प्रशासन को विज्ञान मानने वाले विचारकों की मुख्यतः तीन श्रेणियाँ पायी जाती हैं। प्रथम श्रेणी में उन विचारकों को शामिल किया जा सकता है जो यह स्वीकार करते हैं कि हो सकता है कि विकास के वर्तमान स्तर में लोक प्रशासन को विज्ञान न कहा जा सके किन्तु कालान्तर में यह विज्ञान होकर रहेगा। दूसरी श्रेणी के विचारकों का मत है कि लोक प्रशासन विज्ञान बन चुका है अन्य सामाजिक विज्ञानों की भाँति लोक प्रशासन में भी बहुत सारे आंकड़े एकत्रित किये जा चुके हैं जिनका अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है। तीसरी श्रेणी के विचारकों का कहना है कि लोक प्रशासन में सत्यता एवं निश्चितता की एक मात्रा रहती है। हो सकता है कि लोक प्रशासन सही निर्णय लेने के बारे में कुछ न कह सके किन्तु वह गलत कार्यों को करने से उसे रोकता है तथा सम्भावित खतरे की चेतावनी दे सकता है।

यद्यपि वर्तमान समय में लोक प्रशासन के अध्ययन के लिए लगभग सुनिश्चित क्षेत्र निर्धारित कर लिया गया है तथा भारी संख्या में ऐसे तथ्यों का संग्रह कर लिया गया है जिन पर वैज्ञानिक अध्ययन की पद्धतियों का प्रयोग किया जा सकता है। लोक प्रशासन के क्षेत्र में ऐसे नियमों और स्वयंसिद्ध सूत्रों का विकास किया जा चुका है जिनके बारे में अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि वे व्यावहारिक प्रयोगों में लाए जा सकते हैं तथा उनके सहारे पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं।

जिस प्रकार वैज्ञानिक विषयों में अनुसन्धान और पर्यवेक्षण के परिणामों को तालिकाबद्ध, वर्गीकृत तथा सुसम्बद्ध किया जाता है, किन्तु लोक प्रशासन में उक्त स्थितियों का अभाव बताया जाता है, परन्तु जैसाकि हक्सले का कहना है कि "सामाजिक विज्ञानों और तथाकथित यथार्थ विज्ञानों का भेद उनके किसी मूलभूत अन्तर पर आधारित नहीं है।'

उक्त तर्कों के आधार पर लोक प्रशासन को विज्ञान मानना उचित है परन्तु उसे भौतिक विज्ञान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

आज लोक प्रशासन के महत्व के कारण इसके अध्ययन का क्षेत्र दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रारम्भ में लोक प्रशासन राजनीतिशास्त्र की एक शाखा के रूप में जाना जाता था किन्तु वैज्ञानिक प्रगति के साथ 19वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक एवं सामाजिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप तकनीकी युग का प्रादुर्भाव हुआ। जिसमें मनुष्य की समस्याओं एवं आवश्यकताओं में निरन्तर वृद्धि हुई। 20वीं शताब्दी में राज्य के नए स्वरूप लोककल्याणकारी राज्य की विचारधारा से राज्य के कार्यों में भी परिवर्तन आए। राज्य जिसका कार्यक्षेत्र अभी तक कानून एवं व्यवस्था तथा व्यक्तिगत सम्पत्ति की रक्षा तक सीमित था वही आज बढ़कर जनोपयोगी कार्यों के सभी पहलुओं जिसमें शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा आदि तक फैल गया है। निश्चित रूप से राज्य के कार्यों का निस्तारण करने में लोक प्रशासन की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है या इस प्रकार कहें कि राज्यों के सभी कार्यों का निष्पादन लोक प्रशासन के द्वारा ही किया जाता है। इस प्रकार लोक प्रशासन के क्षेत्र का बढ़ना स्वाभाविक ही है। विशेषकर भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक परिवर्तन महत्वपूर्ण कारक है वहाँ लोक प्रशासन का महत्व एवं आवश्यकता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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